रोजगार और सरकारी नौकरी के लिए सूर्य अष्टकम ( Surya Ashtakam ) का महत्व
सूर्य देव को सभी ग्रहों का अधिपति माना जाता है। वे हमारे जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी हैं और रविवार को इनका दिन माना जाता है। रविवार को सूर्य देव की पूजा करने और सूर्य अष्टकम ( Surya Ashtakam ) का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं।
रोजगार और सरकारी नौकरी में आ रही कठिनाइयों के लिए सूर्य अष्टकम क्यों लाभदायक है?
- ऊर्जा का संचार: सूर्य देव ऊर्जा के देवता हैं। सूर्य अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति में ऊर्जा का संचार होता है, जिससे वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत कर पाता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: सूर्य देव आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य अष्टकम का नियमित पाठ करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और वह साक्षात्कारों और परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर पाता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: सूर्य देव नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने में सक्षम होते हैं। सूर्य अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- सरकारी नौकरी में सफलता: सूर्य देव सरकारी पदों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य अष्टकम का पाठ करने से सरकारी नौकरी पाने में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को सफलता मिलती है।
- मनोबल बढ़ाना: सूर्य अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है और वह कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो जाता है।
सूर्य अष्टकम का पाठ करने की विधि:
- रविवार का दिन: सूर्य अष्टकम का पाठ रविवार के दिन करना चाहिए।
- सुबह का समय: सूर्योदय के समय या उसके बाद सूर्य अष्टकम का पाठ करना शुभ होता है।
- स्नान: पाठ करने से पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं।
- पूर्व दिशा में मुख करके बैठें: सूर्य देव की मूर्ति या चित्र के सामने पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- दीपक जलाएं: एक दीपक जलाएं।
- सूर्य अष्टकम का पाठ करें: सूर्य अष्टकम के श्लोकों का उच्चारण करें।
- अर्ध्य दें: सूर्य देव को जल अर्पित करें।
सूर्य अष्टकम ( Shri Surya Ashtakam ) का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह न केवल रोजगार और सरकारी नौकरी में सफलता दिलाता है बल्कि व्यक्ति के स्वास्थ्य, धन और वैवाहिक जीवन में भी सुधार करता है।
॥ सूर्याष्टकम् ॥
आदिदेव नमस्तुभ्यंप्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यंप्रभाकर नमोऽस्तुते॥1॥
सप्ताश्वरथमारूढंप्रचण्डं कश्यपात्मजम्।
श्वेतपद्मधरं देवं तंसूर्यं प्रणमाम्यहम्॥2॥
लोहितं रथमारूढंसर्वलोकपितामहम्।
महापापहरं देवं तंसूर्यं प्रणमाम्यहम्॥3॥
त्रैगुण्यं च महाशूरंब्रह्माविष्णुमहेश्वरम्।
महापापहरं देवं तंसूर्यं प्रणमाम्यहम्॥4॥
बृंहितं तेजःपुञ्जं चवायुमाकाशमेव च।
प्रभुं च सर्वलोकानांतं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥5॥
बन्धूकपुष्पसङ्काशंहारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवंतं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥6॥
तं सूर्यं जगत्कर्तारंमहातेजःप्रदीपनम्।
महापापहरं देवंतं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥7॥
तं सूर्यं जगतां नाथंज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
महापापहरं देवंतं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥8॥
॥ इति श्रीशिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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