Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2025: कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी- जानें शुभ मुहूर्त, व्रत का महत्व और पूजन विधि

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी 2025 (Krishna Pingala Sankashti Chaturthi 2025): आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह पर्व भगवान गणेश की कृष्णपिङ्गल रूप में विशेष आराधना का दिन है। इस दिन सब बंदिशें टूटने की और मनोवांछित फल प्राप्ति की मान्यता है। 14 जून 2025 को यह पर्व मनाया जा रहा है।

1. तिथि एवं शुभ मुहूर्त

  • तिथि: आषाढ़ (ज्येष्ठ) मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी अर्थात् कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी वर्ष 2025 में 14 जून (शनिवार) को है ।
  • चतुर्थी आरंभ: 14 जून दोपहर 03:46 बजे से
  • चतुर्थी समाप्ति: 15 जून दोपहर 03:51 बजे तक
  • चंद्र उदय: वहीं शाम में 10:07 बजे चंद्र दर्शन होगा ।

🔔 ध्यान दें: व्रत का प्रारंभ चतुर्थी आरंभ होने के बाद किया जाना चाहिए, और व्रत पारण चंद्र दर्शन व अर्घ्य देने के पश्चात माना जाएगा ।


🙏 2. व्रत का महत्व

  • यह संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के कृष्णपिङ्गल रूप (गहरे रंग वाले रूप) का आराधना दिन है—जो ध्यान, परिवर्तन और आध्यात्मिक गहराई का प्रतीक है ।
  • इस व्रत से भक्तों को विघ्न निवृत्ति, मन की शांति, आध्यात्मिक प्रगति, और धन-संपत्ति की प्राप्ति का वरदान मिलता है।
  • साथ ही यह व्रत जीवन की बाधाओं, स्वास्थ्य समस्याओं, और संतान-सुख की समस्याओं से निवृत्ति दिलाता है ।

📿 3. पूजा-विधि और व्रत प्रक्रिया

🌅 सुबह

  1. स्नान एवं स्वच्छता
    • तिथि आरंभ होने के पश्चात शुद्ध स्नान करें, शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. पूजन स्थल की तैयारी
    • पूजा कक्ष साफ करें, गणेश जी की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।

🛕 अब प्रातः पुजा

  1. जलाभिषेक और सजावट
    • गणेश जी पर जल, दूध, दूध आदि अर्पित करें, पीले या सुनहरे पुष्प और दूर्वा चढ़ाएं ।
      1. मंदिर सजावट
    • दिया जलाएं, अगरबत्ती और धूप अर्पित करें।
  2. भोग व्यवस्था
    • मोदक, लड्डू और मीठे व्यंजन अर्पित करें—विशेषकर बूंदी लड्डू और तिल वाले प्रसाद ।

🧘 मंत्र जाप और कथा

  1. मंत्र-उच्चारण
    • ‘ॐ गण गणपतये नमः’, ‘ॐ वक्रतुंडाय हुम्’ आदि मंत्र जाप करें—108 या अपनी क्षमता अनुसार ।
      1. व्रत कथा
    • कृष्णपिङ्गल संकष्टी की कथा सुनें या स्वयं पढ़ें; इससे व्रत की आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है ।

🌕 रात्रि में चंद्र दर्शन

  1. चंद्र अर्घ्य
    • चंद्र उदय (10:07 PM के आसपास) में ‘ॐ चंद्राय नमः’ के उच्चारण के साथ चंद्र अर्घ्य दें।
  2. व्रत पारण
    • अर्घ्य के बाद फलों या सात्विक भोजन से व्रत खुला माना जाता है।
क्र.विधिविवरण
1संकल्प व स्नानतिथि आरंभ के बाद शुद्ध जल से स्नान
2पूजा स्थान सजाएँगणेश मूर्ति/चित्र स्थापित, स्वच्छता
3जलाभिषेक व पुष्पदूर्वा, लाल/पीले फूल, प्रसाद अर्पित करें
4मंत्र-जप और पाठमंत्र 108 बार जाप करें, कथा पढ़ें
5दीप-आरतीव्रत आरती करें, दीया जलाएं
6चंद्र अर्घ्य & पारणचंद्र दर्शन के बाद अर्घ्य व भोजन ग्रहण करें

5. इस व्रत से मिलने वाले लाभ

  • विघ्न तोरण: सभी बाधाएँ दूर होती हैं ।
  • आध्यात्मिक विकास: मन की शांति और ध्यान योग बढ़ता है ।
  • सुख-समृद्धि: घर-परिवार में सुख-शांति और संतान-संपत्ति बढ़ती है ।
  • दोष-निवारण: जन्म या किसी दोषों से उपजी बाधा दूर होती है ।

📜 6. कथा: राजा मिहिजित तथा विद्वान ऋषि लोमश

— मुहावरा कथा बताती है कि राजा मिहिजित पुत्रहीन था। ऋषि लोमश ने उन्हें सुझाव दिया कि वे कृष्णपिङ्गल संकष्टी व्रत अष्टमासक विधि पूर्वक करें तो पुत्र की प्राप्ति होगी ।
इस व्रत के कारण राजा के घर संतान आई—और आज भी इस कथा का स्मरण श्रद्धा से किया जाता है।


7. निष्कर्ष

14 जून 2025 को मनाया जाने वाला यह व्रत—कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी—एक पवित्र अवसर है जब भक्त गणेश जी के ध्यानमय, गहरे स्वरूप का ध्यान करते हैं। विधिपूर्वक व्रत-पूजा करने से जीवन की प्रत्येक बाधा, मानसिक व्याधि, धन-संपत्ति की दुर्भाग्य, और संतान-सुख जैसे बड़े विषय स्वाभाविक रूप से दूर हो जाते हैं।

यदि आप पूजा सामग्री, मंत्र-साहित्य, कथा-संग्रह, या किसी विशिष्ट अनुष्ठान की जानकारी चाहते हैं, तो कृपया बताएं—मैं सहर्ष मार्गदर्शन करूंगा।

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