Ashtalakshmi Stotram- अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्: आठ प्रकार की समृद्धि का वरदान

Ashtalakshmi Stotram – शास्त्रों के अनुसार, शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों पर उनकी विशेष कृपा होती है। मां लक्ष्मी की अराधना से न केवल धन-धान्य की प्राप्ति होती है बल्कि सुख, शांति और समृद्धि भी मिलती है।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् ( Ashtalakshmi Stotram ) का महत्व

अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् ( astalaxmi stotra ) का पाठ करने से मां लक्ष्मी के आठों स्वरूपों की कृपा प्राप्त होती है। ये आठ स्वरूप हैं – आदिलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् के लाभ

  • धन-धान्य की वृद्धि: नियमित रूप से अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ ( Ashtalakshmi Stotram ) करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • सुख-शांति: यह स्तोत्र जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
  • व्यवसाय में वृद्धि: व्यापारियों के लिए यह स्तोत्र बहुत ही लाभदायक होता है। इससे व्यापार में वृद्धि होती है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: मां लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • ऋण मुक्ति: यह स्तोत्र ऋण से मुक्ति दिलाता है।

कैसे करें पाठ

  • शुक्रवार का दिन: शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करना उत्तम माना जाता है।
  • शांत वातावरण: शांत वातावरण में बैठकर मां लक्ष्मी का ध्यान करें।
  • दीपक जलाएं: मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • फूल और फल चढ़ाएं: मां लक्ष्मी को फूल और फल अर्पित करें।
  • स्तोत्र का पाठ: अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
  • आराती: अंत में मां लक्ष्मी की आरती करें।

आइए पढ़ते हैं अष्टलक्ष्मी स्त्रोतम Ashtalakshmi Stotram Lyrics – Sanskrit, Hindi


सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित,सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,आदिलक्ष्मि सदा पालय माम्॥1॥

अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि,वैदिकरूपिणि वेदमये
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि,मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि,देवगणाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम्॥2॥

जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि,मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद,ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते।
भवभयहारिणि पापविमोचनि,साधुजनाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूधन कामिनि,धैर्यलक्ष्मी सदा पालय माम्॥3॥

जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि,सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत,परिजनमण्डित लोकनुते।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,तापनिवारिणि पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम्॥4॥

अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि,रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,स्वरसप्त भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,मानववन्दित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम्॥5॥

जय कमलासनि सद्गतिदायिनि,ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर,भूषित वासित वाद्यनुते।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,शङ्कर देशिक मान्य पदे
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विजयलक्ष्मी सदा पालय माम्॥6॥

प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि,शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमयभूषित कर्णविभूषण,शान्तिसमावृत हास्यमुखे।
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि,कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्॥7॥

धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि-धिंधिमि,दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम,शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते।
वेदपूराणेतिहास सुपूजित,वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम्॥8॥


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